You are viewing a single comment's thread from:

RE: सुख : स्वरूप और चिन्तन (अंतिम भाग # ४) | Happiness : Nature and Thought (Final Part # 4)

in #life6 years ago

आज एक युग में मनुष्य एक अंधेरी दोड दोड रहा हे उसमे वह सबकुछ भुलता जा रहा हे रिस्तो की एहमियत कम हो गयी हे हर कोई इस दुनिया पर अपना वर्चस्वः कायम करना चाहता हे